पंजाब के भोले-भाले लोगों से ठगी मारने का कलंक माथे पर लिए घूम रहे तथाकथित ट्रेवल एजेंट वरिंदर चावला को दोबारा अपनी दुकान खुुलवाने के लिए काफी मश्क़त करनी पड़ रही है। कारण, सर्वविदित है कि इसकी ओवरसीज एजुकेशन एंड करियर कंसल्टैंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ओ.ई.सी.सी.) का लाइसैंस पिछले महीने रद्द कर दिया गया था। इसके जालंधर, बठिंडा, लुधियाना, मोगा और मोहाली में भी दफ्तर थे। लाइसैंस रद्द होने के बाद ओ.ई.सी.सी. का मालिक वरिंदर चावला अब कई जगह हाथ पांव मार रहा है। बहरहाल, सूूत्र नज़र रख रहे हैैं कि यह किस नेता या दलाल के ज़रिए अपना जुगाड़ भिड़ाकर अपना उल्लू सीधा करता है।गौरतलब है कि लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप कुमार अग्रवाल ने दिसंबर 2019 में का OECC का लाइसेंस नंबर 245/एम.ए. रद्द कर दिया। फर्म का कार्यालय लुधियाना के फिरोज गांधी मार्कीट स्थित एस.ई.ओ. नंबर-5 में स्थित था। शिकायते मिल रही थी कि लंबे समय से ओ.ई.सी.सी. भोले भाले स्टूडैंट को ठग कर उन्हें विदेशों के सपने दिखा रहा था। फर्म को पंजाब ट्रैवल प्रोफैशनल्ज रैगुलेशन नियम 2013 के नियम 4 के सब नियम (4) की उल्लंघना में दोषी पाया गया है। डिप्टी कमिश्नर लुधियाना ने राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिख इस फर्म का नाम सरकारी वैबसाइट पर लाल अक्षरों से दर्ज करने के लिए कहा है। लुधियाना प्रशासन की वैबसाइट पर लाल एंट्री कर दी गई है। जालंधर में तत्कालीन पुलिस कमीश्नर प्रवीन सिन्हा ने भी जब ट्रेवल एजैंटों पर शिकंजा कसते हुए अपने कार्यकाल में 18 एजैंटों पर केस दर्ज किया था, उनमें वरिंदर चावला भी एक था। डिप्टी कमिश्नर प्रदीप कुमार अग्रवाल के मुताबिक मोगा पुलिस प्रमुख की तरफ से इस फर्म के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 420 व 120 के तहत मामला दर्ज कर फर्म का लाइसैंस रद्द करने की सिफारिश की गई थी। इस तरह डिप्टी कमिश्नर मोगा ने भी गुरिंदर सिंह पुत्र सुरजीत सिंह गांव कोठे बग्गू, तहसील जगराओं की तरफ से की गई शिकायत की पड़ताल कर इस फर्म का लाइसैंस रद्द करने और कंपनी में तैनात कर्मचारी सुखदेव सिंह और अन्य के खिलाफ 6 अगस्त, 2019 को कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। डिप्टी कमिश्नर लुधियाना की तरफ से पड़ताल पर इस फर्म के खिलाफ जालंधर में भी मामला दर्ज होने के बारे में पता चला। इस पर डिप्टी कमिश्नर की तरफ से 28 अगस्त, 2019 को फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका फर्म की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। दोबारा पत्र जारी करने पर भी फर्म की ओर से जवाब तो दिया गया लेकिन अपने बचाव के लिए कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किया गया। इस पर फर्म का लाइसैंस रद्द कर दिया गया था। लाइसैंस रद्द होने के बाद फर्म के मालिक वरिंदर चावला बौखलाए फिर रहे हैं और लगातार उच्चाधिकारियों की शरण में जाकर ठगी की दुकान दोबारा खोलने की गुहार लगा रहे हैं। मगर अभी तक कहीं से भी वरिंदर चावला को कुछ मदद मिलती नजर नहीं आ रही है।